Everything about सूर्य पुत्र कर्ण के बारे में रोचक तथ्य

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कर्ण को अंग देश का राजा बनाने के कुछ दिन बाद दोनों दुर्योधन और कर्ण शाम को बैठ कर पासा खेल रहे थे, तभी अचानक दुर्योधन को को कुछ क्षण के लिये बाहर जाना पड़ा, उस वख्त दुर्योधन की पत्नी भानुमती पास से गुजर रही थी

एक बार कुंती नामक राज्य में महर्षि दुर्वासा पधारे. महर्षि दुर्वासा बहुत ही क्रोधी प्रवृत्ति के ऋषि थे, कोई भी भूल होने पर वे दंड के रूप में श्राप दे देते थे, अतः उस समय उनसे सभी लोग भयभीत रहते थे.

कर्ण के जाने के बाद भानुमती ने दुर्योधन से पुछा आप मेरी अवस्था को देखकर किसी प्रकार की संदेह नहीं हुई, तो दुर्योधन ने जवाब दिया की रिश्ते में किसी प्रकार के संदेह का कोई गूंजाइश नहीं, और जहाँ संदेह है वहा रिश्ता नहीं होता

पानी में बहते हुए बच्चे को अधिरथ और राधा ने देखा जो महाराज धृतराष्ट्र का सारथी था और उनका कोई भी संतान नहीं था तो उसने इस बच्चे को गोद ले लिया और उस बच्चे का लालन पालन किया

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तब इंद्र ने कर्ण से शरीर के कवच और कुंडल दान में मांग लिए. इंद्र की इस बात को सुनकर कर्ण बिना एक पल समय गंवाए कवच और कुंडल शरीर से अलग कर इंद्र को सौंप दिए. कुंडल और कवच को शरीर से अलग करते हुए कर्ण को बहुत have a peek at this web-site पीड़ा हुई लेकिन कर्ण ने इसकी परवाह नहीं की और दोनों वस्तु इंद्र को सौंप दी.

मैंने सर्वदा स्वर्ण(सोने) का ही दान किया है। इसलिए आप इन स्वर्णयुक्त दाँतों को स्वीकार करें।'

कुंती कुंवारी थी तो समाज में कलंक और बदनामी के भय से उसने कर्ण को टोकरी में छिपाकर नदी में बहा दिया था. इस प्रकार सूर्य के तेज से उत्पन्न होने के कारण कर्ण को सूर्यपुत्र कहा जाता है.

सूर्य पुत्र महाभारत का कर्ण

जिन्होंने पालन पोषण किया – सारथी अधिरथ और उनकी पत्नी राधा

वे शांत स्वर में बोले पार्थ कर्ण रण क्षेत्र में घायल पड़ा है, तुम चाहो तो उसकी दानवीरता की परीक्षा ले सकते हो.

शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र) शनिश्चरा मन्दिर (मध्यप्रदेश) और सिद्ध शनिदेव (उत्तरप्रदेश)। यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय करता है तो वह शनि की वक्र दृष्टि से बच नहीं सकता। बचपन में पिता से रुष्ट होकर शनिदेव कहीं चले गए थे। हनुमानजी ने उन्हें अपनी पूंछ से पकड़कर पुन: उनके घर पहुंचा दिया था। शनिदेव को रावण ने बंधक बना लिया था। लंका दहन के दौरान हनुमानजी ने शनिदेव को मुक्त कराया था। हनुमानजी को छोड़कर शनिदेव ने सभी को अपनी दृष्टि से आघात पहुंचाया है। श्री शनि जयंती की शुभकामनाएं



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